Karauli Violence Anniversary: 2 अप्रैल 2023 का दिन अर्थात् करौली हिंसा की बरसी। साल 2022 में आज ही के दिन हिंदू नववर्ष (नव संवत्सर) पर करौली में शोभायात्रा (बाइक रैली) निकाली गई थी, जिस पर समुदाय विशेष की भीड़ ने हमला कर जमकर पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की। भीड़ ने लाठी, सरिये, चाकू और तलवारों से वार किये। करीब 4 दर्जन लोग घायल हुए। अनेक दुकानें और मकान फूंक दिए गए।
इस लोमहर्षक घटना को आज पूरा एक साल हो गया, लेकिन वहां के लोगों इस घटना को याद कर अब भी सिहर जाते हैं। उपद्रव में जख्मी हुए लोग और उनके परिजन तथा मुस्लिम बहुल इलाके में रहने वाले हिंदु तो अब तक सहमे हुए हैं।
बता दें कि उपद्रवियों ने 35 से ज्यादा दुकानों, मकानों और बाइकों को आग के हवाले कर दिया और अनेक बाइकें तोड़ दी थीं। हालात बिगड़े तो प्रशासन ने शहर में धारा 144 लागू कर दी, लेकिन इससे भी हालात नहीं संभले तो जिले में कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी। हिंसा के बाद लगे कर्फ्यू के कारण शहर के लोग करीब 15 दिन तक घरों में कैद रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार छतों से टनों वजनी शिलाएं फेंकी गई।
करौली हिंसा के बाद पुलिस ने लिखी FIR में शोभायात्रा पर हमले को सुनियोजित साजिश बताया है। करौली हिंसा में घायल कोतवाली थाने के एसएचओ रामेश्वर दयाल मीणा की ओर से लिखाई गई FIR में बताया गया कि नव संवत्सर के अवसर पर आयोजित की गई हिंदू संगठनों की रैली पुलिस की सुरक्षा में शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी, तभी अचानक से मस्जिद और मुस्लिम घरों की छतों से पत्थरों की बारिश शुरू हो गई।
पुलिस ने बीच बचाव किया मगर मुस्लिम समाज के लोग लाठी डंडे लेकर आ गए और रैली में मौजूद भीड़ पर हमला बोल दिया, जिसके बाद बवाल बढ़ गया। पुलिस ने ये भी बताया है कि अनुमति मिलने के बाद ही यात्रा निकल रही थी, पर कुछ लोगों ने योजना बनाकर पुलिस की मौजूदगी में इस पर हमला कर दिया।
'आजतक' की रिपोर्ट के अनुसार इस घटना के दौरान का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग हाथों में डंडे और लाठी लिए दिख रहे हैं। इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि शोभायात्रा पर हमला करने की तैयारी पहले से की गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल को PFI ने एक प्रेस रिलीज जारी कर विवाद की बात कही थी। इस संबंध में राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ द्वारा सीएम को चिट्ठी लिखने की बात बताई थी। यह चिट्ठी राज्य के पुलिस महानिदेशक को भेजे जाने की बात भी कही जा रही है।
इस पत्र में लिखा गया था, “दिनांक 2 से 4 अप्रैल तक राजस्थान के तमाम जिलों, तहसीलों और कस्बों में RSS और उनके अन्य संगठनों द्वारा हिन्दू नववर्ष के अवसर पर भगवा रैली आयोजित की जा रही है। इन रैलियों में धार्मिक उन्माद फैलाने वाले नारों को प्रतिबंधित करने, साम्प्रदायिक सौहार्द को बचाने, कानून-व्यवस्था को कायम रखने और इन आयोजनों को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करवाने की मांग की जाती है।”
हिंसा के बाद एक चश्मदीद वीपी शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया था कि रैली मस्जिद के पास पहुंचते ही लोगों ने मकानों की छतों से पथराव शुरू कर दिया। हर तरफ से बड़े-बड़े पत्थर लोगों के ऊपर आकर गिरने लगे। ऐसा लग रहा था, जैसे आसमान से पत्थर बरस रहे हों।
हर तरफ अफरा-तफरी मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इसी अफरा-तफरी में कुछ नकाबपोश लोग हाथों में लाठियां, तलवार, सरिए व चाकू लेकर आए और लोगों पर हमला कर दिया। एक युवक ने सरिए से मुझ पर हमला किया। मेरा हाथ दो जगह से फ्रैक्चर हो गया। इसके बाद पीछे से आए एक युवक ने मेरी पीठ पर चाकू से हमला कर दिया।
हिंसा के बाद 5 मार्च को करौली में कांग्रेस और भाजपा की टीमें हिंसा की जांच करने पहुंची। दोनों पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे पर तुष्टीकरण की राजनीति करने के आरोप जमकर लगाए।
बीजेपी नेता और राजस्थान में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाते हुए कहा, घटना को योजना बनाकर अंजाम दिया गया है, घरों की छत पर पहले से पत्थर जमा करके रखे गये थे। पुलिस और प्रशासन ने इलाके का ड्रोन से सर्वे क्यों नहीं किया। पुलिस ने रैली के रूट का भी सर्वे नहीं किया। पुलिस फोर्स 45 मिनट बाद घटनास्थल पर पहुंची। इंटेलिजेंस रिपोर्ट भी नहीं दी गई।
राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि पीएफआई (PFI) के साथ राजस्थान सरकार का गठजोड़ सामने आ रहा है। कहा कि इससे ये साबित हो गया है कि प्रदेश सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है।
रैली का रूट डाइवर्ट नहीं किया : करौली शहर में पहले भी दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। ऐसे में रैली की परमिशन देते समय पुलिस रैली का रूट डाइवर्ट कर उपद्रव को रोक सकती थी।
सिर्फ 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी : विवाद भड़कने की आशंका के बावजूद अधिकारियों ने रैली के लिए महज 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई। नतीजा- जब उपद्रव बढ़ा तो पुलिस रोक नहीं पाई।
ड्रोन से निगरानी नहीं कराई : सुरक्षा के लिहाज से पुलिस ने ड्रोन से निगरानी नहीं कराई। ऐसा कराते तो छत पर रखे टनों पत्थरों और दर्जनों लाठी-सरियों के बारे में पहले पता चल जाता और उपद्रव को रोका जा सकता था।
मौके पर पहुंचकर भी उपद्रव नहीं रोक पाए : उपद्रव के महज आधे घंटे बाद पुलिस अधिकारी व जाब्ता मौके पर पहुंच गया। इसके बावजूद उनके सामने ही उपद्रवी पथराव करते रहे और दुकानों में आग लगाते रहे।