Loksabha Election 2024: क्यों राजस्थान में 5.84% प्रतिशत कम हुआ मतदान, पढ़े पूरी खबर 
राजस्थान

Lok Sabha Election 2024: क्यों राजस्थान में 5.84% प्रतिशत कम हुआ मतदान, पढ़े पूरी खबर

Madhuri Sonkar

देश में लोकतंत्र के उत्सव का पहला चरण अब समाप्त हो चूका है। पिछले चुनाव को देखते हुए इस बार मतदाताओं में उत्साह कम दिखाई दिया।

इस बात का असर मतदान प्रतिशत पर साफ-साफ दिखाई दे रहा। अगर बात राजस्थान की करें तो, 2019 में जहां पहले चरण में 63.71% मतदान हुए थे, तो वहीं 2024 में घटकर 57.87% ही रह गए है। यानि की मतदाताओं में सीधे 5.84% प्रतिशत की कमी आयी है।

वहीं अगर मतदान प्रतिशत की बात करे तो सबसे ज्यादा मतदान श्रीगंगानगर में देखा गया, यहां पर 65 प्रतिशत तक मतदान हुआ। वही अगर करौली-धौलपुर लोकसभा मतदान क्षेत्र को देखे तो वहां मतदान सिर्फ 50 प्रतिशत ही हुआ।

क्यों हुआ मतदान कम

राजस्थान में 12 लोकसभा सीटों पर मतदान के दिन मौसम के तीखे तेवर के चलते दोपहर में मतदान केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहा। शाम को जब सियासी पारा चढ़ा तो पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प देखने को मिली।

नागौर में भाजपा व आरएलपी कार्यकर्ता के भिड़ने से कुचेरा नगरपालिका अध्यक्ष तेजपाल मिर्धा घायल हो गए तो वहीं चूरू के रामपुरा में फ़र्ज़ी मतदान की शिकायत पर कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओ में मुठभेड़ के चलते एक बूथ एजेंट घायल हो गया।

मतदान बहिष्कार

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान 20 से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदाताओं ने बहिष्कार का इरादा जाहिर किया। इनमे से कुछ जगह प्रशासन ने उन्हें समझा कर मतदान के लिए मना लिया।

सबसे ज्यादा बहिष्कार के मामले राजस्थान के झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र में देखने को मिले जहां लोगों ने यमुना का पानी मिलने के भरोसे पर ही मतदान करने की मांग रखी। इसके अलावा कई जगह पंचायत बदलने पर बहिष्कार हुआ तो कहीं रेलवे ट्रैक और सड़क की मांग को लेकर।

कम वोटिंग का क्या होगा असर ?

पहले चरण में कम वोटिंग होने के कारण राजनितिक दलों में खलबली मच गयी है। राजस्थान की 12 सीटों पर 5.84% कम वोट पड़ने पर नतीजों पे क्या असर होगा इसका जवाब तो 4 जून को ही मिलेगा।

एक नज़र अगर इतिहास की तरफ डालें तो 2019 में इन्ही 12 सीटों पर 2014 के मुकाबले 2 प्रतिशत ज़्यादा वोटिंग हुई थी। इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का सीधा फायदा भाजपा को हुआ था जब उन्हें 5 लाख वोट ज़्यादा मिले थे।

अब इस बार कम वोट पड़ने का क्या असर होगा यह अभी बता पाना मुश्किल है। पर इतना कहा जा सकता है कि सभी पार्टियों के वोट में गिरावट देखने को मिलेगी।

2004 और 2009 में ऐसे हुआ बदलाव

वहीं अगर बात 2004 और 2009 के चुनावों की करें तो 2009 में 2004 के मुकाबले एक फीसदी वोट घटा था। जिससे यूपीए सरकार को फायदा हुआ था। 2004 में भाजपा को 21 और कांग्रेस को 4 सीटें मिलीं थीं।

जो 2009 में बदलकर कांग्रेस को 20 और भाजपा की 4 हो गईं थी। एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी। दरअसल, 2004 में कई सीटों पर जीत का मार्जिन कम था, इसलिए एक फीसदी मतदान कम होने से ही परिणाम पलट गया था।

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