इस वर्ष आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि दो दिन यानी 28 और 29 को रहेगी धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या को पर्व कहा गया है. इस दिन पितरों की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष की दृष्टि से इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच का अंतर 0 डिग्री हो जाता है। हर महीने की अमावस्या को कोई न कोई व्रत या त्योहार मनाया जाता है। यह तिथि पितरों की पूजा के लिए विशेष मानी जाती है। इसलिए इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
बुधवार 29 जून को सूर्योदय के बाद कुछ देर अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन स्नान और दान करना चाहिए। शनिवार को होने के कारण यह शनिचरी या शनि अमावस्या होगी। इस दिन किसी पवित्र नदी या पवित्र नदी के जल से स्नान करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं। साथ ही इस दिन किए गए दान का कई गुना फल मिलता है। बुधवार को अमावस्या होने के कारण इस दिन कालसर्प योग की पूजा विशेष फल देगी।
अमावस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या को शनि देव की जन्म तिथि माना जाता है।
इस तिथि को पितरों के लिए किया गया दान अक्षय होता है।
सोमवार या गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ मानी जाती है।
रविवार के दिन अमावस्या होना अशुभ माना जाता है।
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या को रिक्त तिथि कहा जाता है अर्थात इस तिथि को किए गए कार्य का फल नहीं मिलता है।
अमावस्या के दिन महत्वपूर्ण खरीद-बिक्री तथा सभी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व है।