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गणेश चतुर्थी के दिन आंध्र प्रदेश में मिली 12वीं सदी की गणेश प्रतिमा, हाथ में कमल और मोदक लिए है गजानन

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज- आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में भगवान गणेश की 800 साल पुरानी मूर्ति मिली है। किसान वेंकटेश्वरलू को यह मूर्ति चिंनगंजम मंडल के मोटुपल्ली गांव में मिली जब वह अपने खेत में काम कर रहे थे। इस खोज के बारे में पुरातत्वविद् शिव नागी रेड्डी का कहना है कि 800 साल पुरानी यह प्रतिमा 3 फीट 6 इंच लंबी, 2 फीट 6 इंच चौड़ी और एक फुट 6 इंच ऊंची है। इतना ही नहीं कमल आसन पर पद्मासन मुद्रा में मिली इस मूर्ति के एक हाथ में मोदक और दूसरे हाथ में दंत है, लेकिन दोनों हाथ क्षतिग्रस्त हैं। मूर्ति ने नाग यज्ञोपवीत सहित अन्य आभूषण धारण किए हुए हैं।

देखने के लिए उमड़ रही भीड़

कोदनडा रामस्वामी मंदिर में लगे तमिल शिलालेखों के आधार पर, यह अनुमान लगाया गया है कि यह 12 वीं शताब्दी की मूर्ति उस समय की है जब चोल राजाओं ने यहां शासन किया था। वर्तमान में इस प्राचीन प्रतिमा को कोदनड़ा रामस्वामी मंदिर में रखा गया है। गणेश उत्सव के दौरान इस मूर्ति के मिलने से लोगों की भीड़ उमड़ रही है। लोग यहां पूजा-अर्चना करने आ रहे हैं।

ग्रेनाइट पत्थर की है मूर्ति

मोटुपल्ली हेरिटेज सोसायटी के सचिव आर. दशरथराम रेड्डी की सूचना पर प्लेच इंडिया फाउंडेशन के डॉ. ई शिवनागी रेड्डी ने गांव का दौरा किया और मूर्ति के बारे में जानकारी जुटाई। उन्होंने बताया कि मूर्ति ग्रेनाइट पत्थर से बनी है। डॉ शिवनागी रेड्डी ने मोटुपल्ली हेरिटेज सोसाइटी से गणेश की मूर्ति को कोदंडा रामास्वामी मंदिर में स्थानांतरित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित करने की अपील की। इस दौरान आर. दशरदारामी रेड्डी, पृथ्वीराज, और मोटुपल्ली हेरिटेज सोसायटी के एम. बालाजी कुमार, शेषतलपा मंदिर के पुजारी और ग्रामीण मौजूद थे।

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