IIT जोधपुर ने अपनी एक रिसर्च से इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरियों में लीथियम का विकल्प दिया है। उनके मुताबिक लीथियम की बजाय कैल्शियम, मैग्नीशियम व जिंक का उपयोग हो तो वाहन ईको फ्रेंडली होगा इसके साथ कई और फायदें भी होंगे।
सोसायटी ऑफ रेयर अर्थ ने इलेक्ट्रिक कारों को ईको फ्रेंडली मानें जाने पर सावाल खड़ा कर दिया है। सोसायटी की रिसर्च की मानें तो इन कारों की बैटरी में लीथियम, निकिल व कोबाल्ट उपयोग लिया जाता है। इन्हें जमीन से निकालते समय इनके साथ एसिड कचरा व रेडियोएक्टिव अवशेष भी निकलते है। जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है साथ ही उच्च तापमान में बैटरियों के ब्लास्ट होने का भी खतरा होता है।
आईआईटी जोधपुर के केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश शर्मा ने लीथियम बैटरियों का विकल्प ढूंढा है। यह बैटरियां पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होंगी साथ ही उच्च तापमान में इनके ब्लास्ट होने का खतरा भी नहीं होगा।
उनकी यह रिसर्च अमेरिकन केमिकल सोसायटी के जनरल एनर्जी एंड फ्यूल्स के कवर पेज प्रकाशित हुई है। अपनी रिसर्च में उन्होंने बताया कि लीथियम की उपलब्धता भारत में कम है और विदेश से मंगवाने में दिक्कतें आती हैं। वहीं कैल्शियम, मैग्निशियम व जिंक देश में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इनसे बनी बैटरियों की कीमत लीथियम बेस्ड बैटरी से करीब 100 गुणा कम होगी। इन बैटरियों के ब्लास्ट होने का खतरा भी नहीं रहेगा।