हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार को शोर आज शाम थम गया। प्रचार के अंतिम दिन राजनीतिक दल व प्रत्याशियों ने एढ़ी चोटी का जोर लगाया। भाजपा की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने चुनाव सभाएं कीं। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, सचिन पायलट भी सभाएं कर मतदाओं को लुभाने का प्रयास किया।
भाजपा और कांग्रेस के अलावा हिमाचल में इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में पूरे जोर-शोर से उतरी है। आम आदमी पार्टी ने हिमाचल चुनाव के लिए सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पंजाब के सीएम भगवंत मान समेत कई आप नेताओं ने चुनाव सभाएं और रैलियां कर पूरा दम-खम लगाया है, लेकिन चुनाव पूर्व सर्वे के नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं देते। ऐसे में आप पार्टी लगभग साफ होती नजर आ रही है।
एक मीडिया हाउस के सी वोटर सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में कड़ा मुकाबला होते नजर आ रहा है। पोल के मुताबिक, 47 प्रतिशत लोगों का मानना है कि राज्य में एक बार फिर से बीजेपी सरकार बनाएगी। जबकि, 43 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस की जीत निश्चित है। इसके अलावा 3 प्रतिशत जनता को लगता है कि आप राज्य में सरकार बना सकती है। वहीं दो को अन्य के आसार नजर आते हैं। एक फीसदी जनता ने त्रिशंकु सरकार की आशंका जताई है। वहीं, चार प्रतिशत लोगों ने इस सवाल का जवाब पता नहीं में दिया है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले भी कुछ मीडिया हाउस ने चुनाव पूर्व सर्वे कराए थे। इसमें हिमाचल प्रदेश में कुल वोटों के प्रतिशत में से भारतीय जनता पार्टी को 46 फीसदी वोट मिलने की संभावना बताई गई। वहीं कांग्रेस को 42 फीसदी वोट और आम आदमी पार्टी सिर्फ 2 फीसदी वोट ही प्राप्त करेगी, यह घोषणा की गई। सर्वे के अनुसार इस चुनाव में आम आदमी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाएगी। सर्वे में यह बात सामने आ रही है। इस हिसाब से 'आप' का हिमाचल प्रदेश में खाता भी नहीं खुल पाएगा। सर्वे में हिमाचल में बीजेपी को 41 सीटें और कांग्रेस को 25 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी।
हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है, लेकिन भाजपा इस बार मोदी लहर, कांग्रेस की गुटबाजी और अपने काम के नाम पर मिशन रिपीट के लिए कमर कसे हुए है। भाजपा को लगता है कि वह उत्तराखंड और यूपी की तरह ही हिमाचल में भी सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ने में सफल होगी। पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा जैसे नेताओं के दौरे, कसी हुई स्टेट लीडरशिप और कार्यकर्ताओं की सक्रिय टोली उसके लिए बड़ी ताकत है। लेकिन कांग्रेस को सबक लेना होगा कि वह गुटबाजी बच सके।
कांग्रेस के आंतरिक सूत्र भी मानते हैं कि वीरभद्र सिंह के बिना यह पहला चुनाव और पार्टी के पास चेहरे का अभाव है। कांग्रेस ने बैलेंस बनाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव समिति का मुखिया बनाया है तो वहीं वीरभद्र के नाम को भुनाने के लिए उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है। हालांकि सुक्खू और प्रतिभा के बीच पार्टी गुटों में बंटी दिखती है। वहीं 2017 में अपने गढ़ द्रंग विधानसभा से हारने वाले कौल सिंह ठाकुर और धर्मशाला के पूर्व विधायक सुधीर शर्मा पर भी गुटबाजी के आरोप लगते रहे हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस पंजाब से कुछ सीखती है या फिर भाजपा को उत्तराखंड दोहराने का यहां मौका मिलता है।
हिमाचल प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने आक्रामक तेवर अपनाया है। भाजपा की रणनीति से कांग्रेस में हलचल मची हुई है। हाल ही में भाजपा में दो कांग्रेस के मौजूदा विधायक शामिल हुए हैं। वही पिछले दिनों कई और नेता भी शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा एक और झटका राज्य महासचिव आश्रय शर्मा के कांग्रेस छोड़ने से लगा है। आश्रय शर्मा दिवंगत नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम के पोते हैं। इससे कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर असर पड़ा है।