Since Independence Ground Zero से LIVE: पहले मुर्गा फिर मुंडन अब रात 2 बजे हाड़ कंपाने वाली सर्दी में अर्धनग्न प्रदर्शन

सिंस इंडिपेंडेंस की टीम आधी रात को जब यहां पहुंची तो प्रदर्शनकारियों की यह तस्वीर उनके हौंसलों को बयां कर रही थी... ठंड में जब सभी लोग अपने घरों में कंबल रजाईयों में गहरी नींद में थे तब ये अर्धनग्न प्रदर्शनकारी सिर्फ अपनी मांगों को मनवाने के लिए ​गहलोत सरकार से अपील कर रहे हैं...। हर तरह से सरकार को मनाने की जुगत।
कड़ाके की ठंड में अर्धनग्न अभ्यर्थियों ने सिंस इंडिपेंडेंस के माध्यम से  सरकार से की रीट के पद 50 हजार करने की मांग।

कड़ाके की ठंड में अर्धनग्न अभ्यर्थियों ने सिंस इंडिपेंडेंस के माध्यम से  सरकार से की रीट के पद 50 हजार करने की मांग।

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तारीख 30 दिसंबर रात के करीब 2 बजे हैं... स्थान जयपुर का शहीद स्मारक... यहां खुले आसमान में माहौल हाड़ कंपाने वाली सर्दी का बना हुआ है... लेकिन इसी माहौल में रीट अभ्यर्थी अर्धनग्न हैं... सिंस इंडिपेंडेंस की टीम आधी रात को जब यहां पहुंची तो प्रदर्शनकारियों की यह तस्वीर उनके हौंसलों को बयां कर रही थी... ठंड में जब सभी लोग अपने घरों में कंबल रजाईयों में गहरी नींद में थे तब ये अर्धनग्न प्रदर्शनकारी सिर्फ अपनी मांगों को मनवाने के लिए ​गहलोत सरकार से अपील कर रहे हैं...। मांग यही कि रीट के 31 हजार पदों को 50 हजार तक किया जाए।

सर्दी तो सर्दी है... मौसम है... ये रहम नहीं करती... इसलिए नारे लगाते वक्त इनकी आवाज में कंपकंपी की झलक साफ दिख रही थी...
इन्हीं के बीच जब हम आधी रात को लाइव के माध्यम से इन रीट अभ्यर्थियों की व्यथा को बयां कर रहे थे... तभी अर्धनग्न अवस्था में मौजूद प्रोटेस्ट कर रहे इन युवाओं में जोशभर आया... लेकिन जैसा कि सर्दी तो सर्दी है... मौसम है... ये रहम नहीं करती... इसलिए नारे लगाते वक्त इनकी आवाज में कंपकंपी की झलक साफ दिख रही थी। हम इनके करीब पहुंचे तो कंपकंपाते ही एक अभ्यर्थी ने कहा हमको आज यहां 76 दिन बीत चुके हैं यहां शहीद स्मारक पर... अभी तक न सरकार के किसी विधायक या मंत्री ने हमारी सुध ली है... और नहीं विपक्ष की तरफ से हमें कोई दिलासा देने पहुंचा है... हमारा ये धरना तब तक जारी रहेगा... जब तक कि रीट के पद 31 हजार से बढ़ाकर 50 हजार नहीं किए जाएं... नहीं तो हम यहीं धरना देते हुए अपने प्राण त्याग देंगे और ये प्रदर्शन का बैनर ही हमारा कफन होगा...
अभी सरकार फ्लाइट में उड़ रहीं है... उन्हें ये पता होना चाहिए कि फ्लाइट जमीन से ही उड़ती है.... और इसी जमीन पर हम आपको तैयार मिलेंगे....
जब हम आगे बढ़े तो एक अन्य अभ्यर्थी ने पहले सिंस इंडिपेंडेंस मीडिया की पहल को सराहा और कहा कि आपका धन्यावाद की आप आधी रात को हमारी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए यहां पहुंचे हैं...। मैं सरकार से कहना चाहूंगा कि सरकार के नुमाइंदे या मंत्री पांच मिनट के​ लिए इस कड़ाके की ठंड में ठहर के देखें... उन्हें पता चल जाएगा कि हम ​किस परिस्थिति में यहां हैंत..... हम मानते हैं कि अभी चुनाव नहीं है... इसलिए सरकार हमारी सुध नहीं ले रही... लेकिन अभी सरकार फ्लाइट में उड़ रहीं है... उन्हें ये पता होना चाहिए कि फ्लाइट जमीन से ही उड़ती है.... और इसी जमीन पर हम आपको तैयार मिलेंगे.... सरकार सो रही है... और हम यही कहेंगे... कि आप जग जाओ.... हम किसान की संतानें हैं... हम कभी भूलते नहीं हैं.....
हम उस इलाके से हैं जिसने देश को सबसे ज्यादा फौजी दिए हैं.. सरकार हमारे धैर्य की परीक्षा न ले...
हम सरकार की असंवेदन​शीलता की परीक्षा ले रहे हैं... और सरकार हमारे धैर्य की परीक्षा ले रही है। लेकिन हम सरकार से कह देना चाहते हैं... कि हम उस इलाके से आते हैं... जहां से देश के सबसे ज्यादा युवा फौज में भर्ती हुए हैं... हम अध्यापक ही बनने वाले हैं... और सरकार हमारे अध्यापक होने की परीक्षा ले रही है... हमारी एक सार्थक.. जायज और अनुशासित मांग है...
हममें से हमारे साथी रोहिताश अस्पताल में भर्ती हैं...उनकी हालत दिनोंदिन खराब हो रही...
जब हम आगे बढ़े तो अर्धनग्न हालत में दोनों हाथ बांधे खड़े अभ्यर्थी ने कहा कि हम और हमारे भाई लोग जो यहां संघर्ष कर रहे हैं... उनकी तरफ सरकार देखे.... हममें से हमारे साथी रोहिताश अस्पताल में भर्ती हैं...उनकी हालत दिनोंदिन खराब हो रही है।
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कोर्टरूम में सजा सुन रेपिस्ट की बौखलाहट: जज पर फेंक डाली चप्पल, 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या का दोषी है आरोपी

कड़ाके की ठंड में एक रात भी यहां बिताना मुश्किल...

हमारी टीम सुबह त​लक इन्हीं के साथ रही... तो पता ​चला कि जो अभ्यर्थी यहां बीते 76 दिन से यहां धरना दे रहे हैं उनकी एक एक रात यहां कैसे गुजरी होगी... क्योंकि कड़ाके की ठंड में एक रात भी यहां बिताना हमारे लिए भारी पड़ रहा था।

गौरतलब है कि रीट के युवा यहां धरना दे रहे हैं कभी ये मुर्गा बन सरकार को जगाने का प्रयास करते हैं तो कभी मुंडन करा कर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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सरे आम सरे राह सैकड़ों युवा बने मुर्गा, भरी दुपहरी में बांग देकर ये किसे जगा रहे हैं ?
हमारे पास दो ही विकल्प रिपीट या डिलीट... अब राज्य सरकार तय करे उसे रिपीट होना है या डिलीट!
शहीद स्मारक पर युवाओं के समर्थक महेंद्र ने कहा कि सुरज की पहली किरण आशा की होती है.... और हम कहना चाहते हैं कि पहली किरण शिक्षा की होती है... विकास की होती है... जिसके लिए हम यहां डटे हैं.... हम राजस्थान के युवा हैं... और हमारे पास सिर्फ दो ही विकल्प है एक रिपीट और एक डिलीट... राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं... हम क्यों बनने दें उन्हें... वो भाजपा शासित राज्यों में तो बड़ी बड़ी बातें करते हैं... लेकिन जहां उन्हीं की पार्टी की सरकार है... वहां उनका कोई ध्यान नहीं है.... उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री राजस्थान के युवाओं से मुंह फेर रहे हैं... जब राहुल गांधी यहां महंगाई पर रैली करने आए थे... तब भी राजस्थान के युवाओं को नजरअंदाज किया गया। वो रैली पूरी तरह से राजनीति से ओत प्रोत थी.... ये कांग्रेस सरकार तय करे की वो राज्य में रिपीट होना चाहती है या पांच साल के लिए डिलीट होना चाहती है... सरकार हमारी माने।... बड़े शर्म की बात है... 200 कांग्रेस के एमएलए हैं... एक भी हमें दिलासा देने नहीं आया... वहीं बीजेपी के 71 विधायक हैं, किसी ने सुध नहीं ली।
<div class="paragraphs"><p>कड़ाके की ठंड में अर्धनग्न अभ्यर्थियों ने सिंस इंडिपेंडेंस के माध्यम से&nbsp; सरकार से की रीट के पद 50 हजार करने की मांग।</p></div>
पहले मुर्गा, अब मुंडन देश का युवा क्यों है बेहाल, सुनो सरकार

सीएम के 31 हजार पदों की भर्ती परीक्षा के ऐलान के बाद 3 बार टली तारीख,​फिर एक साल 8 माह बाद परीक्षा कराई इतने अंतराल में पद भी बढ़ने चाहिए: अभ्य​​र्थियों की मांग

दरअसल 24 दिसंबर 2018 को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 31 हजार पदों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा का ऐलान किया था , लेकिन उसके बाद कोरोना महामारी के चलते परीक्षा की तारीख तीन बार टाली। इस दौरान करीब एक साल 8 माह बीत गया, जब दूसरी लहर का कहर कम हुआ तो सरकार ने 26 सितंबर को इस बड़ी परीक्षा का आयोजन कराया। युवाओं का तर्क है कि उस समय जब मुख्यमंत्री ने रीट के 31000 पद की घोषणा की थी, उस समय इतने पद काफी थे लेकिन इस दौरान बड़ी सख्या में शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं। स्कूलों में शिक्षकों के ऊपर बोझ बढ़ा रहा है। एक शिक्षक पर 100 से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है।

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सरकार क्यों जनता को अमीर बनने के सब्जबाग दिखाने वाली पिरमिड स्कीम्स पर बैन लगा रही? जानिए चेन बिजनेस सिस्टम के बारे में वो सब कुछ जो आपको जानना चाहिए
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