राजस्थान के अलवर में हुई मूक-बधिर हुई घटना निंदनीय है. घटना के बाद से प्रदेश की जनता में आक्रोश है. पीड़िता के परिवार को केवल न्याय की उम्मीद है. लेकिन दूसरी और सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष व्यंग और निशाने के तीर कमान पर लगाए बैठे हैं। फिलहाल घटना के 8 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। घटना का पता लगाने में पुलिस नाकाम रही है. अब इसकी गेंद सीबीआई के पाले में जा चुकी है. वहीं दूसरी और इस घटना को हिट एंड रन मामले से जोड़ने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
राजस्थान के अलवर में 11 तारीख रात 8:00 बजे मूक बधिर बालिका लहूलुहान हालत में शहर के तिजारा पुलिया पर मिली. वहां से गुजरने वाले लोगों की नजर बालिका पर गई तो लोगों ने एंबुलेंस के साथ पुलिस को सूचना दी. सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने बालिका को अस्पताल लेकर गए . मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी और बालिका को पहली बार देखने वाले डॉक्टर ने लड़की के साथ कुछ गलत होने की आशंका जाहिर की है,और यही बात जयपुर में जेके लोन के अधीक्षक डॉ अरविंद शुक्ला ने भी कही, लेकिन 1 दिन बाद ही किसी नेशनल न्यूज़ एजेंसी को दिए अपने बयान में डॉ शुक्ला ने कहा कि लड़की के प्राइवेट पार्ट में किसी भी तरह की चोट नहीं आई है। इस तरह के डबल बयान देकर डॉ शुक्ला क्या बताना चाहते हैं।
कल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने 70 से ज्यादा जोमैटो ब्वॉय से पूछताछ की. जिसमें एक जोमैटो ब्वॉय ने यह स्वीकार किया कि उसकी गाड़ी से लड़की की टक्कर हुई थी हालांकि पुलिस से जब इस बारे में बातचीत की गई तो अलवर पुलिस ने इन तमाम खबरों को खारिज करते हुए कहा कि अभी हम जांच कर रहे हैं और जांच के बाद ही हम कुछ बता पाएंगे.
घटना को लेकर सरकार की होती किरकिरी के बाद सरकार ने मामला सीबीआई के पाले में डाल दिया. हालांकि सीबीआई के पास मामला जाने के बाद घटना में न्याय की उम्मीद बढ़ती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में सीबीआई के हाथ में जो भी मामले गए हैं, फिलहाल उन पर कुछ ज्यादा खास ध्यान नहीं दिया गया है।तो इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि सरकार अपना पल्ला झाड़कर सीबीआई के गलते में अपनी लापरवाही का पट्टा डाल रही है. लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार पुलिस इस मामले का जल्द खुलासा कर सकती है.
राज्य की पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कि पुलिस अपने कार्यों को सही तरीके से नहीं कर रही है. वहीं राज्य के मुखिया का कहना है कि “पुलिस का प्रयास हो कि किसी भी अपराध में कम से कम समय में गहनता से तफ्तीश हो और अपराधी को सजा एवं पीड़ित को जल्द से जल्द से न्याय मिले। पुलिस अपना काम बिना किसी दबाव के निष्पक्षता और सकारात्मक सोच के साथ करे.“ लेकिन राज्य के मुखिया की कही गई इस लाइन को पुलिस सही तरीके से नहीं निभा पा रही है। अलवर के इस मामले में पुलिस सवालों के घेरे में है।
किसी भी घटना पर पहला एक्शन स्थानीय पुलिस लेती है. लेकिन जिस तरह के हालात आज के समय में हैं उसमें पुलिस की कार्य प्रणाली पर लोगों को शंका है। अलवर के घटना क्रम में विपक्ष का दबाव कहें या लोगों के बीच हो रही सरकार की किरकिरी,प्रदेश के जननायक ट्विट कर कहना पड़ा कि “यदि फिर भी परिजन किसी विशिष्ट अधिकारी या CID, क्राइम ब्रांच, एसओजी अथवा CBI से इस मामले की जांच करवाना चाहेंगे तो प्रदेश सरकार इसके लिए भी तैयार हैं। सरकार की नीयत स्पष्ट है कि इस मामले में स्वतंत्र अनुसंधान हो एवं इस घटना की वास्तविकता सामने आए.”
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