याचिकाकर्ता ने कहा है कि छात्राओं को हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के देता है। अनुच्छेद 14 और 25 के तहत यह मौलिक अधिकार दिया हुआ है और इस्लाम के अनुसार यह एक आवश्यक प्रथा है. याचिकाकर्ता ने अनुरोध करते हुए कहा कि उसे और उसकी अन्य सहपाठियों को कॉलेज प्रशासन हस्तक्षेप करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने की इजाजत दी जाए।
याचिका में कहा गया है कि कॉलेज ने इस्लाम धर्म का पालन करने वाली आठ छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया। इसमें कहा गया है कि ये छात्राएं हिजाब पहने थी।
इसलिए उन्हें उनके मौलिक अधिकार अर्थात् शिक्षा का अधिकार से वंचित किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से शतहाबिश शिवन्ना, अर्णव ए बगलवाड़ी और अभिषेक जनार्दन अदालत में पेश हुए। मामले की पहली सुनवाई इस सप्ताह के अंत तक होनी है।
उडुपी के विधायक एवं कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष के. रघुपति भट ने हिजाब पहनने के अधिकार के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं के साथ बैठक के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षा विभाग के फैसले के तहत छात्राओं को ‘हिजाब’ पहनकर कक्षा में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी। भट ने कहा कि जब कक्षाओं में केवल यूनिफॉर्म पहनकर आने की परमिशन है तो छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में घुसने की इजाजत देना संभव नहीं है। लड़कियों के अभिभावकों को भी इस फैसले के बारे में अवगत करा दिया गया है।
भट ने कहा कि मंगलवार से छात्राओं को कॉलेज परिसर में किसी तरह की अराजकता फैलाने की अनुमति नहीं होगी। भट ने आगे कहा कि यह कदम कुछ अन्य छात्राओं के माता-पिताओं की ओर से परीक्षा के नजदीक आने पर शिकायतें मिलने के बाद उठाया गया है।
इससे पहले भी कई ऐसी घटनाऐ हो चुकी है। ऐसे ही हिसार में एक छात्र खंडवा पहनकर कक्षा में पहुंचा था। जिसकी वजह से उसे कक्षा से बाहर निकाल दिया गया। जाट समाज में खंडवा को सम्मान का प्रतीक माना गया है। खंडवा सिर पर बांधा जाता है।
बिहार के पटना में महिला कॉलेज ड्रेस कोड लागू कर कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं से अपनी मर्जी से ड्रेस पहनकर नहीं आने की बात कहीं। प्राचार्य डॉ. सिस्टर एम. रश्मि ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि अब छात्राएं सलवार, कमीज और दुपट्टा लगाकर ही कॉलेज आएंगी।
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