Up के सहारनपुर जिले के देवबंद शहर में स्थित ‘दारुल उलूम मदरसा’ विवादित फतवों के कारण चर्चा में कई बार रहा है।
लेकिन, इस बार उसने भारत विरोधी फतवा जारी कर अपनी कट्टर मानसिकता का प्रमाण दिया है। दारुल उलूम ने अपने फतवे में गजवा-ए-हिंद को मान्यता दे दी है।
इस फतवे से बताया गया है कि भारत पर आक्रमण के दौरान मरने वाले महान शहीद कहलाए जाएंगे और उन्हें जन्नत मिलेगी।
इस फतवे के खिलाफ अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सहारनपुर पुलिस के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए Notice जारी किया है।
दरअसल, दारुल उलूम की साइट (darulifta-deoband.com) पर सवाल किया गया था कि क्या हदीस में Bharta पर आक्रमण का जिक्र है जो उपमहाद्वीप में होगा? और जो भी इस जंग में शहीद होगा, वो महान शहीद कहलाएगा। और जो गाजी होगा वो जन्नती होगा।
इसी सवाल के जवाब में दारुल उलूम की ओर से फतवा जारी किया गया। फतवे में ‘सुन्न अल नसा (Sunan-al-Nasa) ‘ नाम की किताब का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस किताब में गजवा-ए-हिंद को लेकर पूरा का पूरा चैप्टर है।
इसमें हजरत अबू हुरैरा की हदीस का जिक्र करते हुए कहा गया है- “अल्लाह के संदेशवाहक ने भारत पर हमले का वादा किया था।
उन्होंने कहा था कि अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए मैं अपनी खुद की और अपनी संपत्ति की कुर्बानी दे दूंगा। मैं सबसे महान शहीद बनूंगा।
इस फतवे में ये भी बताया गया कि देवबंद की मुख्तार एंड कंपनी ने इस मशहूर किताब को प्रिंट किया है।
अब इस फतवे में जहां भारत पर आक्रमण की बात को उचित ठहराने का प्रयास हुआ है। वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मुद्दे को उठाया है।
उन्होंने सहारनपुर जिले के DM और SP को एक नोटिस जारी कर इस मामले में FIR दर्ज करने को कहा।
NCPCR ने नोटिस में कहा कि ये मदरसा भारत के बच्चों को देशविरोधी तालीम दे रहा है। इससे इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलेगा।
बच्चों में देश के प्रति नफरत पैदा होगी। आयोग ने कहा कि बच्चों को अनावश्यक रूप से परेशान करना या शारीरिक कष्ट देना तो किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंघन है।
उन्होंने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि गजवा-ए-हिंद को लेकर हाल ही में आए फतवे के मामले में आयोग CPCR अधिनियम, 2005 की धारा 13 (1) के तहत IPC और JJ अधिनियम, 2015 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश देती है।
उन्होंने पुलिस से फौरन इस मामले में दारुल उलूम देवबंद के खिलाफ FIR दर्ज करने का कहा। साथ ही संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट 3 दिन के भीतर आयोग को भेजने को कहा।
बता दें कि इससे पहले साल 2022 और 2023 में भी आयोग ने दारुल उलूम की साइट पर जारी विवादित फतवों का खुलासा किया था और मांग की थी कि इसकी साइट को Block किया जाए और FIR हो, लेकिन प्रशासन ने इसमें कोई कार्रवाई नहीं की।
ऐसे में आयोग कहता है कि अगर कोई प्रतिकूल परिणाम ऐसी तालीम के कारण आए तो फिर उसके लिए जिला प्रशासन भी बराबर का जिम्मेदार होगा।