Article 370: क्या आर्टिकल 370 पर SC पलट सकता है फैसला! जानिये आर्टिकल 370 पर किसका क्या कहना? 
इंडिया

Article 370: क्या आर्टिकल 370 पर SC पलट सकता है फैसला! जानिये आर्टिकल 370 पर किसका क्या कहना?

Pradip Kumar

Article 370: कश्मीर में आर्टिकल 370 पर केंद्र सरकार के दिये फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। आर्टिकल 370 पर देश की सबसे बड़ी अदालत 2 अगस्त से रेगुलर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समेत 5 जजों की पीठ इस फैसले पर दोनों पक्षों की जिरह सुनेगी। इस मामले में दोनों तरफ से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया जाना है।

आर्टिकल 370 पर 4 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई क्यों हो रही है, पिटिशनर्स ने क्या तर्क रखें हैं और क्या इस मामले के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में पलटा जा सकता है? आर्टिकल 370 के महत्त्व क्या हैं?

आर्टिकल 370 कब लागू हुआ था

कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने अक्टूबर 1947 में, एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें उन्होने कहा था कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार के मुद्दों पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा। जिसके बाद जम्मू और कश्मीर में आर्टिकल 370 लागू हुआ था।

शेहला राशिद और शाह फैसल ने ली याचिका वापस

3 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नोटिस जारी कर बताया था। नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि IAS शाह फैसल ने भारत सरकार के खिलाफ अपनी पिटीशन वापस ले ली है। शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा कि अब कश्मीर वासियों के लिए 370 अतीत की बात है। झेलम और गंगा नदी का पानी हिंद महासागर में मिल चुका है। अब हमें पीछे नहीं जाना केवल आगे बढ़ना है।

JNU की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने भी आर्टिकल 370 पर दायर की याचिका को वापस ले लिया है। कानून के जानकारों का मानना है कि इन दोनों याचिकाकर्ताओं के याचिका वापस लेने से इस केस के फैसले पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा।

याचिकाकर्ताओं ने ये दिए सुप्रीम कोर्ट में तर्क

1. आर्टिकल 370 (3) के तहत भारत के राष्ट्रपति जम्मू कश्मीर विधानसभा की अनुमति के बिना आर्टिकल 370 में संशोधन की इजाजत नहीं दे सकते हैं।

2. संविधान के आर्टिकल-3 के तहत कोई भी संसद किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में नहीं बदल सकती है और न ही उस राज्य की विधानसभा में चुने जाने वाले प्रतिनिधियों की संख्या में कमी कर सकती है।

3. संविधान के पार्ट 3 में फेडरल डेमोक्रेसी की बात भी कही गई है। इसके कहा गया है कि हर राज्यों के पास इसके अपने अधिकार होते हैं। सही तरीके से कानूनी प्रक्रिया का पालन ना किए बिना किसी भी राज्य की शक्तियों को कम नहीं किया जा सकता है।

4. जम्मू-कश्मीर से जुड़े आर्टिकल 370 खत्म करने से पहले राज्य के लोगों और लोकतांत्रिक रूप से चुने गए सभी प्रतिनिधियों से सलाह भी नहीं ली गई।

केंद्र सरकार के ये हैं तर्क

केंद्र सरकार ने एक हलफनामे के जरिए आर्टिकल 370 को खत्म करने के फैसले को सही बताया है। केंद्र सरकार ने 3 तर्क दिए हैं।

1. 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, पत्थरबाजी और हिंसा जैसी बड़ी चीजें अब कम हो गई हैं। इससे जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड 1.88 करोड़ पर्यटक आए हैं।

2. जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में 65% से भी ज्यादा की कमी आई है। 2018 में जम्मू कश्मीर में 199 युवा आतंकवादी बने, ये संख्या अब 2023 में घटकर 12 रह गई है।

3. जम्मू कश्मीर में आम लोग सामान्य रूप से जीवन जी पा रहे हैं। आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास को महसूस कर रहे हैं।

क्या SC पलट सकता है केन्द्र सरकार का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में फैसला पक्ष या विपक्ष में ही होगा। सैद्धांतिक तौर पर देखें तो सुप्रीम कोर्ट के पास आर्टिकल 370 पर सरकार का फैसला पलटने की क्षमता है।

प्रोफेसर फैजान मुस्तफा के मुताबिक सरकार ने कई बड़े मौकों पर आर्टिकल 370 को टेंपरेरी बताया है।

क्‍या है धारा 370?

धारा 370 के चलते जम्मू-कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं होती।

धारा 370 लगने के बाद राष्ट्रपति के पास जम्मू-कश्मीर के संविधान को बर्खास्‍त करने का अधिकार नहीं है।

धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों को दोहरी नागरिकता मिलती है।

भारत की संसद धारा 370 के कारण राज्य में सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।

धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होगा।

धारा 370 के कारण दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद नहीं सकते हैं।

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