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गौतम अडाणी ने किया अब तक का सबसे बड़ा दान, हो रही है दुनिया भर में चर्चा

60 हजार करोड़ का दान करने का बाद गौतम अडाणी अब फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और इन्वेस्टर वॉरेन बफे जैसे ग्लोबल अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं।

Jyoti Singh

एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन गौतम अडाणी ने अपने 60वें जन्मदिन पर 60,000 करोड़ रुपए दान करने का ऐलान किया है। इस ऐलान के साथ ही वे भारत के सबसे बड़े दानवीर बन गए है। उनका यह दान भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में एक फाउंडेशन के लिए किए सबसे बड़े दानों में से एक है।

इस फंड का इस्तेमाल हेल्थ केयर, एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट के लिए होगा जिसे अडाणी फाउंडेशन मैनेज करेगा। अडाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन गौतम अडाणी की पत्नी प्रीति अडाणी हैं।

जुकरबर्ग और बफे की अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हुए अडाणी
60 हजार करोड़ का दान करने का बाद गौतम अडाणी अब फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और इन्वेस्टर वॉरेन बफे जैसे ग्लोबल अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं। इन लोगों ने सामाजिक काम के लिए अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान किया है। अडाणी के द्वारा दिया गया ये दान बिल गेट्स और मेलिंडा फ्रेंच गेट्स के 2021 में अपनी फाउंडेशन को दिए 1.17 लाख करोड़ रुपए के दान से लगभग आधा है।

आपकों बता दें कि दान के लिए दी गई राशि अडाणी की 92 अरब डॉलर की संपत्ति का महज 8 फीसदी है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको गौतम के जीवन से जुड़े कुछ अहम किस्सें और उनके शानदार करियर के बारे में बताएंगे।

कॉलेज ड्रापआउट हैं गौतम अडाणी

24 जून 1962 में जन्मे गौतम अडाणीआज एशिया के सबसे अमीर व्यापारियों में से एक हैं। पर आपको जानकर हैरानी होगी की एशिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक गौतम अडाणी ने अपनी ग्रेजुएशन तक पूरी नहीं की है। उन्होंने अपने कॉलेज के दूसरे साल में ही कॉलेज छोड़ दिया था। गौतम शुरू से ही बिजनेस करना चाहते थे।

डायमंड इंडस्ट्री में आजमाया हाथ

गौतम अडाणी सिर्फ 16 साल की उम्र में कारोबार में हाथ आजमाने के लिए मुंबई गए। साल 1978 में उन्होंने मुंबई में हीरे का कारोबार शुरू किया। लेकिन यह कारोबार इतना सफल नहीं हो पाया और फिर वे 1981 में वापस गुजरात लौट गए। यहां गौतम ने अपने भाई की प्लास्टिक की फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया।

1988 में की अडाणी ग्रुप की शुरुआत

1988 में, उन्होंने एक वस्तु निर्यात-आयात कंपनी के रूप में अदानी एंटरप्राइजेज की शुरुआत की। वर्ष 1991 में आर्थिक सुधारों के कारण अडानी का व्यवसाय शीघ्र ही विविध हो गया और वे एक बहुराष्ट्रीय व्यवसायी बन गए।

1996 में किया अडाणी फाउंडेशन का गठन

वर्ष 1995 गौतम अडाणी के लिए काफी सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट संचालित करने का ठेका मिला। गुजरात सरकार ने कच्छ में मुंद्रा पोर्ट और एसईजेड के संचालन को एक निजी कंपनी को सौंपने का फैसला किया और यह गौतम अडानी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

उन्हें इस बंदरगाह का नियंत्रण मिला और आज यह निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बंदरगाह बन गया है। अडाणी पावर लिमिटेड (अडानी ग्रुप) 1996 में अस्तित्व में आया।

अडानी ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक फिलहाल यह फाउंडेशन देश के 18 राज्यों में सालाना 34 लाख लोगों के उत्थान में मदद कर रहा है।

अंडरवर्ल्ड डॉन ने किया था किडनेप

1997 में गौतम अडाणी को अंडरवर्ल्ड डॉन फजलू रहमान ने बंधक बना लिया था। वहीं 2008 की बात करें तो मुंबई हमले के दौरान गौतम ताज होटल में फस गए थे।

विदेशों में फैलाया अपना कारोबार

गौतम ने ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में माइन्स, पोर्ट्स और रेलवे जैसे बिजनेस से विदेशी व्यापार में कदम रखा। वर्ष 2010 में उन्होंने इंडोनेशिया में खनन व्यवसाय शुरू किया। 2011 में, अदानी समूह ने ऑस्ट्रेलिया के एबॉट प्वाइंट कोयला टर्मिनल को 2.72 अरब डॉलर में खरीदा था।

आज अडाणी समूह का कारोबार ऊर्जा, बंदरगाह, रसद, खनन, गैस, रक्षा और एयरोस्पेस और हवाई अड्डों जैसे विविध क्षेत्रों में फैला हुआ है। अडाणी समूह के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों में अदानी एंटरप्राइजेज, अदानी ग्रीन एनर्जी, अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अदानी पावर, अदानी ट्रांसमिशन, अदानी टोटल गैस लिमिटेड और अदानी विल्मर शामिल हैं।

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