आम आदमी पार्टी का उभार क्या कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है?

आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 2017 में भी चुनाव लड़ा था और राजनीतिक मौसम की थाह ले ली थी. इस बार उसने अपनी रणनीति को पूरी तरह से पंजाब और गोवा में केंद्रित किया. पंजाब में तो सरकार बनाने में भी सफल रही और गोवा में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.
आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी

सोर्स गूगल 

Updated on

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के लिए सौगात लेकर आए हैं, तो दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए एक खौफनाक संदेश भी दे रहे हैं. दिल्ली के बाद पंजाब में भी दो-तिहाई से भी ज्यादा बहुमत हासिल करके कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बेदखल करते हुए आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से अपनी विजय पताका फहराई है, वह देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए खतरे की घंटी है.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>

आम आदमी पार्टी

सोर्स गूगल

आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 2017 में भी चुनाव लड़ा था और राजनीतिक मौसम की थाह ले ली थी. इस बार उसने अपनी रणनीति को पूरी तरह से पंजाब और गोवा में केंद्रित किया. पंजाब में तो सरकार बनाने में भी सफल रही और गोवा में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. ये दोनों ही राज्य दिल्ली की ही तरह हैं जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक लड़ाई थी लेकिन आम आदमी के प्रवेश करते ही न सिर्फ तीन बार से लगातार जीत हासिल कर रही कांग्रेस पार्टी साफ हो गई बल्कि देश और कई राज्यों में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी का भी वहां से लगभग सफाया हो गया. ऐसा न सिर्फ एक बार हुआ बल्कि लगातार तीन चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जीत हासिल की.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
ये है चुनाव 2022 के Game Changer

सोर्स गूगल

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी रही जो यह जानते हुए भी कि चाहे जितनी ताकत झोंक दे, यूपी में उसे कुछ खास हासिल नहीं होने वाला है, वह यूपी में ही पूरा दमखम लगाती दिखी. जबकि उत्तराखंड जैसे राज्य को नजरअंदाज करती रही जहां सरकार बनाने के लिए उसके पास खुला मैदान था, बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी थी, तीन मुख्यमंत्री बदले जाने को लेकर बीजेपी की नकारात्मक छवि थी और बीजेपी क कई महत्वपूर्ण नेता चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. आखिरकार हर बार सरकार बदलने का रिकॉर्ड बनाने वाले उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार पूर्ण बहुमत से दोबारा आ गई.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
मकरंद : JNU में अफजल के गिनती के समर्थक थे, लेकिन सरकार के पक्ष में भी काफी थे
<div class="paragraphs"><p>पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह&nbsp;</p></div>

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह 

From- aaj tak

पंजाब में पार्टी आंतरिक कलह में उलझी रही, कैप्टन अमरिंदर सिंह को अलग पार्टी बनाने दिया, नवजोत सिद्धू अपनी उंगलियों पर पार्टी को नचाते रहे और आखिरकार पार्टी का सफाया यहां से भी ठीक उसी तरह हो गया जैसे आंध्र प्रदेश, दिल्ली, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कई दक्षिणी राज्यों से भी हो चुका है.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
Russia-US Space Conflict: प्रतिबंधों के बाद रूस की धमकी: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हो सकता है क्रैश
<div class="paragraphs"><p>अरविंद केजरीवाल </p></div>

अरविंद केजरीवाल

AAP TWITTER

पंजाब और उत्तर प्रदेश को देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की चुनौती का सामना उन्हीं के फॉर्मूले पर किया है. केजरीवाल और उनकी टीम ने जमीन पर उतरकर रणनीति बनाई, मतदाताओं की जरूरतों का अध्ययन किया, अपने घोषणापत्र को उसी ढंग से तैयार किया और लागू करने के मामले में लोगों का विश्वास इसलिए जीत लिया क्योंकि दिल्ली में ऐसा वे कर चुके हैं. पंजाब में बीजेपी की उपस्थिति यूं तो बहुत ज्यादा नहीं थी लेकिन जिस तरह से इस बार उसने चुनाव लड़ा था, उसे देखते हुए कांग्रेस और बीजेपी को लगभग ध्वस्त करते हुए आम आदमी पार्टी का वहां सरकार बनाने तक का सफर तय करना देश के राजनीतिक भविष्य के लिए बहुत कुछ कहता है.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
PM Modi Gujarat 2022: सबसे युवा देश के पीएम मोदी ने आखिर क्यों कही देश को वेल ट्रेंड मेन पॉवर बनाने की बात

उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम बताते हैं कि तमाम जातीय और धार्मिक समीकरणों के अलावा मुफ्त राशन के मुद्दे ने बीजेपी की दोबारा सत्ता में वापसी की संभावनाओं को सबसे ज्यादा प्रबल बनाया. यहां तक कि किसान आंदोलन का भी बहुत फर्क नहीं दिखा जबकि पंजाब में कांग्रेस पार्टी और यूपी में समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन उसी से काफी उम्मीद लगाए बैठे रहे. आम आदमी पार्टी ने किसान आंदोलन के समर्थन को भी जिस तरह से पंजाब के चुनाव में भुनाया, वह उनके रणनीतिक कौशल की गवाही देता है.

<div class="paragraphs"><p>प्रियंका गांधी&nbsp;</p></div>

प्रियंका गांधी 

कांग्रेस पार्टी लगातार चुनाव हारते-हारते नैराश्य के जिस स्तर पर पहुंच चुकी है, वहां से अब उसका मुख्य धारा की राजनीति में उस तरह से वापसी करना कठिन दिख रहा है जैसा कि आज से दस साल पहले उसकी प्रासंगिकता तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद बनी हुई थी. अब तक कोई भी विपक्षी मोर्चा बनाने की बात बिना कांग्रेस के अधूरी दिख रही थी लेकिन अब चर्चाएं ऐसी होने लगी हैं कि बिना कांग्रेस के भी एक तीसरा मोर्चा खड़ा किया जा सकता है. बल्कि चर्चाएं तो अब यहां तक होने लगी हैं कि यदि आम आदमी पार्टी अपनी उपस्थिति अगले दो साल में होने वाले गुजरात समेत कुछ अन्य राज्यों भी बरकरार रखती है तो आने वाले दिनों में केंद्रीय स्तर पर बीजेपी को चुनौती देने वाली वह अकेली पार्टी भी बन सकती है या फिर अन्य क्षेत्रीय दलों के मोर्चे का नेतृत्व कर सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि तृणमूल कांग्रेस भी अपनी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों को छोड़कर कहीं और नहीं दर्ज करा सकी है.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
Russia-Ukraine War update 2022: रूस से निपटने के लिए आखिर US ने भेज दी 12000 की फौज
<div class="paragraphs"><p>दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल&nbsp;</p></div>

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 

आम आदमी पार्टी के पास अरविंद केजरीवाल जैसा मजबूत चेहरा होने के अलावा दिल्ली में उसके द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की सफलता भी है. हालांकि इन योजनाओं को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं लेकिन जिन्हें इनका लाभ मिल रहा है, आमतौर पर वो शिकायत करते नहीं दिखते. दूसरी ओर, बीजेपी जिस हिन्दुत्व के हथियार से मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश करती है, आम आदमी पार्टी ने भी सियासत में रहकर उसका बखूबी अध्ययन कर लिया है और सॉफ्ट हिन्दुत्व के जरिए वह लगातार इसका जवाब भी देती रहती है. कांग्रेस पार्टी के पास न तो नेतृत्व रह गया है और न ही नेता. इन सबके अलावा यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में संगठन भी लगभग शून्य हो चला है.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
हमारे सिख जवान भी पहन पाएंगे सुरक्षा हैलमेट: पटके के ऊपर पहना जा सकेगा, जानिए और क्या हैं खासियतें
<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>

आम आदमी पार्टी

सोर्स गूगल

पंजाब और गोवा के अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी आम आदमी पार्टी ने कोई संगठन और जनाधार न होने के बावजूद जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि अगले कुछ वर्षों में वह इन राज्यों में अपना मजबूत संगठन तैयार कर ले. दूसरी बात यह भी है कि बहुजन समाज पार्टी ने इस बार जिस तरह से चुनाव लड़ा है और जो परिणाम आए हैं, उसे देखते हुए अब उसकी भी राजनीतिक उपयोगिता लगभग खत्म सी हो गई है. ऐसी स्थिति में बीएसपी का कोर मतदाता यदि आम आदमी पार्टी की ओर आकर्षित हो तो इसमें आश्चर्य नहीं और यदि ऐसा होता है तो यह आम आदमी पार्टी को एकाएक मजबूती देने में बेहद मददगार साबित होगा.

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
42 साल बाद राजस्थान में निकला भैंसा सिंह का जिन्न, जिसने सरकारी सिस्टम पर पोत दी भ्रष्टाचार की कालिख

समीरात्मज मिश्र वरिष्ठ पत्रकार हैं. लंबे समय तक बीबीसी में संवाददाता रहे हैं. इस समय जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर डीडब्ल्यू से जुड़े हैं और यूट्यूब चैनल ‘द ग्राउंड रिपोर्ट’ के संपादक हैं.

ये एना​लेसिस यूपी चुनाव को लेकर बन रही श्रृंखला का लेख है, इस श्रृंखला में आगे भी यूपी चुनाव 2022 के राजनैतिक समीकरणों और जनता के रुझान को लेकर के समीक्षा निंरतर जारी रहेगी।

<div class="paragraphs"><p>आम आदमी पार्टी</p></div>
Cheetah Helicopter Crash in Jammu Kashmir: कश्मीर में हेलीकॉप्टर क्रैश, जयपुर के लाल मेजर संकल्प यादव हुए शहीद
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com